News

6/recent/ticker-posts

Family Law: मुस्लिम विधि (Muslim Law) के महत्वपूर्ण नोट्स | LLB Notes In Hindi PDF

Family Law: मुस्लिम विधि (Muslim Law) के महत्वपूर्ण नोट्स | LLB Notes In Hindi PDF

मुस्लिम विधि इस्लामिक सिद्धांतों और धार्मिक शिक्षाओं पर आधारित है। यह मुख्य रूप से कुरआन, हदीस, इज्मा और कियास से प्रेरित है। भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ को विभिन्न विधियों और न्यायिक निर्णयों के माध्यम से लागू किया जाता है। नीचे मुस्लिम कानून के प्रमुख पहलुओं को विस्तार से बताया गया है।  

Family Law: मुस्लिम विधि (Muslim Law) के महत्वपूर्ण नोट्स | LLB Notes In Hindi PDF

मुस्लिम विधि इस्लामिक शिक्षाओं पर आधारित है और इसे विभिन्न न्यायिक फैसलों और विधानों द्वारा संशोधित किया गया है। भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और वक्फ जैसे मुद्दों को नियंत्रित करता है। समय के साथ इस कानून में कई संशोधन और सुधार किए गए हैं ताकि यह आधुनिक समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सके।

मुस्लिम विधि के स्रोत (Sources of Muslim Law)

मुस्लिम कानून के प्रमुख स्रोत दो प्रकार के होते हैं:  

प्राथमिक स्रोत (Primary Sources)

I. कुरआन (Quran) – यह इस्लाम का पवित्र ग्रंथ है और मुस्लिम कानून का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। इसमें नैतिक, सामाजिक और कानूनी नियम शामिल हैं।  

II. हदीस (Hadith) – इसमें पैगंबर मुहम्मद के कथन, कर्म और स्वीकृतियों का संकलन है, जो मुस्लिम कानून को स्पष्ट करने में मदद करता है।  

III. इज्मा (Ijma) – जब इस्लामी विद्वान किसी मुद्दे पर एकमत हो जाते हैं, तो उसे इज्मा कहा जाता है। यह इस्लामी कानून का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।  

IV. कियास (Qiyas) – जब कोई मामला कुरआन, हदीस या इज्मा में स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं होता, तो इस्लामी विद्वान तर्क और व्याख्या के आधार पर निर्णय लेते हैं।  

द्वितीयक स्रोत (Secondary Sources)

  • I. न्यायिक निर्णय (Judicial Precedents)  
  • II. विधान (Legislation)  
  • III. न्यायशास्त्र (Juristic Opinions)  

मुस्लिम कानून के प्रमुख विभाजन

मुस्लिम विधि को मुख्य रूप से दो प्रमुख संप्रदायों में बांटा गया है

  • I. सुन्नी विधि (Sunni Law) – यह इस्लाम का सबसे बड़ा संप्रदाय है, और इसके अनुयायी चार प्रमुख स्कूलों (हनीफी, शाफई, मलिकी और हंबली) में विभाजित हैं।  
  • II. शिया विधि (Shia Law) – शिया मुसलमानों के लिए अलग नियम होते हैं, और इसमें प्रमुख रूप से इमामिया और इस्माइली संप्रदाय शामिल हैं।  

विवाह (Nikah) और इससे संबंधित नियम

विवाह की परिभाषा (Definition of Nikah)

मुस्लिम विवाह (निकाह) एक सामाजिक और कानूनी अनुबंध है। यह किसी पुरुष और महिला के बीच वैध सहमति से स्थापित किया जाता है।  

विवाह के प्रकार (Types of Marriage)

  • I. सही (Valid) विवाह – यदि विवाह इस्लामी शर्तों के अनुसार किया गया है, तो यह सही विवाह कहलाता है।  
  • II. फासिद (Irregular) विवाह – यदि विवाह में कोई छोटी अनियमितता होती है, तो इसे फासिद कहा जाता है।  
  • III. बातिल (Void) विवाह – जो विवाह इस्लामी कानून के पूरी तरह खिलाफ होता है, वह बातिल विवाह कहलाता है।  


विवाह की शर्तें (Conditions of Marriage)

  • I. दोनों पक्षों की सहमति आवश्यक है।  
  • II. दोनों का बालिग (Adult) और समझदार होना जरूरी है।  
  • III. मेहर (दहेज) का निर्धारण आवश्यक है।  
  • IV. गवाहों की उपस्थिति जरूरी है।  

तलाक (Divorce) के प्रकार

पुरुष द्वारा तलाक (Divorce by Husband)

  • I. तलाक-ए-अहसन – पति द्वारा एक बार तलाक बोलकर तीन माह की इद्दत अवधि पूरी की जाती है।  
  • II. तलाक-ए-हसन – इसमें पति तीन बार अलग-अलग महीने में तलाक देता है।  
  • III. तलाक-ए-बिद्दत (Triple Talaq) – इसमें पति तीन बार तलाक कहकर विवाह तोड़ देता है। इसे 2019 में भारत में गैरकानूनी घोषित कर दिया गया।  

पत्नी द्वारा तलाक (Divorce by Wife)

  • I. खुला (Khula) – जब पत्नी अपने पति से तलाक मांगती है और बदले में मेहर या कोई और चीज छोड़ देती है।  
  • II. तफवीज़ (Talaq-e-Tafweez) – जब पति अपनी पत्नी को तलाक देने का अधिकार प्रदान करता है।  

न्यायिक तलाक (Judicial Divorce)

I. मुस्लिम महिलाओं को विशेष विवाह अधिनियम, 1939 के तहत न्यायालय के माध्यम से तलाक लेने का अधिकार है।  

उत्तराधिकार (Inheritance) का कानून

मुस्लिम उत्तराधिकार कानून मुख्य रूप से 'शरीयत अधिनियम, 1937' द्वारा शासित है। इसमें उत्तराधिकारियों को उनके अधिकार कुरआन और सुन्नत के आधार पर दिए जाते हैं।  

 उत्तराधिकार के नियम (Rules of Inheritance)

  • I. फरायज (Fixed Shares) – इसमें पुरुषों को महिलाओं की तुलना में दोगुना हिस्सा दिया जाता है।  
  • II. अगली पीढ़ी को प्राथमिकता (Per Stirpes Rule) – मृतक की संपत्ति उसके निकटतम रिश्तेदारों को दी जाती है।  

उत्तराधिकारियों के प्रकार

  • I. कुरआनी उत्तराधिकारी (Quranic Heirs) – जैसे बेटा, बेटी, माता-पिता, पत्नी आदि।  
  • II. असराती उत्तराधिकारी (Residuary Heirs) – जब कुरआनी उत्तराधारियों को हिस्सा देने के बाद संपत्ति बचती है, तो इसे असराती उत्तराधिकारियों को दिया जाता है।  

वक्फ (Waqf) और इसका महत्व

वक्फ (Waqf) का अर्थ है किसी संपत्ति को धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए समर्पित करना।  

वक्फ के प्रकार (Types of Waqf)

  • I. वक्फ-लिल्लाह (Religious Waqf) – धार्मिक उद्देश्य के लिए दान किया गया वक्फ।  
  • II. वक्फ-अल-औलाद (Family Waqf) – परिवार के भरण-पोषण के लिए वक्फ।  

वक्फ अधिनियम, 1995

भारत में वक्फ से संबंधित मामलों को वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत नियंत्रित किया जाता है।  

मुस्लिम कानून और न्यायिक निर्णय

मुस्लिम कानून को भारतीय न्यायालयों में कई मामलों के माध्यम से परिभाषित किया गया है। कुछ प्रमुख मामले इस प्रकार हैं:  

  • I. शाह बानो केस (Shah Bano Case, 1985) – सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि मुस्लिम महिलाओं को भी भरण-पोषण का अधिकार है।  
  • II. शायरा बानो केस (Shayara Bano Case, 2017) – तीन तलाक (Triple Talaq) को असंवैधानिक घोषित किया गया।  

Notes PDF

Post a Comment

0 Comments