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Constitution Notes: भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार का वर्णन

Constitution Notes: भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार का वर्णन 

भारत के संविधान में मूल अधिकार: समानता, स्वतंत्रता और न्याय की पूरी जानकारी। भारत के संविधान में मूल अधिकार (Fundamental Rights) नागरिकों को प्रदान किए गए वे बुनियादी अधिकार हैं, जो व्यक्ति की गरिमा, स्वतंत्रता और समानता की रक्षा करते हैं। ये अधिकार संविधान के भाग III (अनुच्छेद 12 से 35) में वर्णित हैं और भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला माने जाते हैं। 

मूल अधिकार न केवल नागरिकों को शक्तिशाली सरकार के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक समानता को भी बढ़ावा देते हैं। इस लेख में हम भारत के संविधान में वर्णित मूल अधिकारों का हिंदी में विस्तृत विवरण प्रस्तुत करेंगे।
Constitution Notes: भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार का वर्णन

मूल अधिकारों का परिचय

मूल अधिकार भारतीय संविधान की आत्मा हैं। इन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के बिल ऑफ राइट्स, आयरलैंड के संविधान और मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (1948) से प्रेरणा लेकर शामिल किया गया है। ये अधिकार नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता और न्याय सुनिश्चित करते हैं और सरकार को मनमानी कार्रवाई करने से रोकते हैं। मूल अधिकारों को संविधान में निम्नलिखित छह श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

  • I.    समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  • II.    स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  • III.    शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
  • IV.    धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
  • V.    संस्कृति और शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
  • VI.    संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)


समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)

अनुच्छेद 14: कानून के समक्ष समानता

यह अनुच्छेद कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता का अधिकार है और कानून का समान संरक्षण प्राप्त होगा। यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग या सामाजिक स्थिति का हो, कानून के सामने समान माना जाएगा।

अनुच्छेद 15: भेदभाव का निषेध

यह अनुच्छेद धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि राज्य किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं करेगा। अनुच्छेद 15(3) और 15(4) में विशेष प्रावधान हैं, जो महिलाओं, बच्चों और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष सुविधाएँ प्रदान करने की अनुमति देते हैं।

अनुच्छेद 16: सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर

यह अनुच्छेद सभी नागरिकों को सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर प्रदान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि नौकरियों में भर्ती और पदोन्नति में कोई भेदभाव न हो। हालांकि, अनुच्छेद 16(4) में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान भी है।

अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का उन्मूलन

अस्पृश्यता को पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए यह अनुच्छेद बनाया गया है। यह सामाजिक बुराई को खत्म करने और सभी को समान सम्मान देने का प्रयास करता है। अस्पृश्यता का अभ्यास करना दंडनीय अपराध है।

अनुच्छेद 18: उपाधियों का उन्मूलन

  यह अनुच्छेद भारत में उपाधियों (जैसे राजा, महाराजा) को समाप्त करता है। हालांकि, शैक्षणिक और सैन्य उपाधियाँ इससे अपवाद हैं।

 2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)


अनुच्छेद 19: अभिव्यक्ति और अन्य स्वतंत्रताएँ

  यह अनुच्छेद छह स्वतंत्रताएँ प्रदान करता है:

  • I.    बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  • II.    शांतिपूर्ण और बिना हथियारों के एकत्र होने की स्वतंत्रता
  • III.    संगठन या संघ बनाने की स्वतंत्रता
  • IV.    भारत में कहीं भी स्वतंत्र रूप से घूमने की स्वतंत्रता
  • V.    भारत में कहीं भी निवास करने और बसने की स्वतंत्रता
  • VI.    कोई भी व्यवसाय या पेशा अपनाने की स्वतंत्रता  


अनुच्छेद 20: अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण


  • I.    पूर्वव्यापी कानून (Ex-Post Facto Law) से संरक्षण, अर्थात् कोई व्यक्ति उस अपराध के लिए दंडित नहीं किया जा सकता, जो अपराध के समय कानूनन अपराध नहीं था।
  • II.    दोहरे दंड से संरक्षण, अर्थात् एक ही अपराध के लिए व्यक्ति को बार-बार दंडित नहीं किया जा सकता।
  • III.    स्वयं के विरुद्ध साक्ष्य देने के लिए बाध्य न करना।


अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण

यह अनुच्छेद कहता है कि किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के बिना उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता। यह अनुच्छेद नागरिकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है और इसके तहत कई अन्य अधिकार, जैसे शिक्षा का अधिकार, पर्यावरण संरक्षण और निजता का अधिकार, शामिल किए गए हैं।

अनुच्छेद 22: निवारक निरोध से संरक्षण

यह अनुच्छेद निवारक निरोध (Preventive Detention) के तहत गिरफ्तार व्यक्तियों को कुछ अधिकार प्रदान करता है, जैसे गिरफ्तारी के कारणों को जानने का अधिकार और वकील से परामर्श करने का अधिकार।

शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)


अनुच्छेद 23: मानव तस्करी और जबरन श्रम का निषेध
  यह अनुच्छेद मानव तस्करी, बेगार और जबरन श्रम को प्रतिबंधित करता है। यह सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने का प्रयास करता है।

अनुच्छेद 24: बाल श्रम का निषेध
  यह अनुच्छेद 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खतरनाक उद्योगों या कारखानों में काम करने से रोकता है। यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को सुनिश्चित करता है।

धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)


अनुच्छेद 25: अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म का पालन
  प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने, प्रचार करने और अभ्यास करने की स्वतंत्रता है। हालांकि, यह स्वतंत्रता सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता के अधीन है।

अनुच्छेद 26: धार्मिक संस्थाओं की स्वतंत्रता

  यह अनुच्छेद धार्मिक समुदायों को अपनी धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन की स्वतंत्रता देता है।

अनुच्छेद 27: धार्मिक करों से मुक्ति
  किसी भी व्यक्ति को किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

अनुच्छेद 28: धार्मिक शिक्षा का निषेध
  यह अनुच्छेद पूर्णतः सरकारी वित्त पोषित शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा देने पर प्रतिबंध लगाता है।

 5. संस्कृति और शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
ये अनुच्छेद अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति और शिक्षा की रक्षा करने का अधिकार देते हैं

अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों की संस्कृति की रक्षा
  यह अनुच्छेद भाषाई और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति, भाषा और लिपि को संरक्षित करने का अधिकार देता है।

अनुच्छेद 30: अल्पसंख्यकों को शैक्षिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार
  यह धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षिक संस्थान स्थापित करने और प्रबंधन करने का अधिकार देता है।

संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

अनुच्छेद 32 को संविधान की आत्मा कहा जाता है, क्योंकि यह नागरिकों को अपने मूल अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय में सीधे याचिका दायर करने का अधिकार देता है। इसके तहत निम्नलिखित रिट जारी किए जा सकते हैं

  • बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) अवैध हिरासत से मुक्ति।
  • परमादेश (Mandamus) किसी सार्वजनिक प्राधिकारी को कर्तव्य पालन के लिए आदेश।
  • प्रतिषेध (Prohibition) निम्न न्यायालयों को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर काम करने से रोकना।
  • उत्प्रेषण (Certiorari) निम्न न्यायालयों के फैसले को रद्द करना।
  • अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) किसी व्यक्ति के सार्वजनिक पद पर अधिकार की जाँच।



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